Inqualab Zindabad Hindi Monologue | Audition Script |
CHARACTER DESCRIPTION
NAME- Bhagat Singh
AGE- 22 years
EDUCATION- Graduate, very good in academics
INFO THAT YOU NEED- Intellectual, Brilliant Thinker, Brave, A true Country lover, Ready to die for his country
NAME- Bhagat Singh
AGE- 22 years
EDUCATION- Graduate, very good in academics
INFO THAT YOU NEED- Intellectual, Brilliant Thinker, Brave, A true Country lover, Ready to die for his country
"वह इस फिक्र में है कि जुल्म का नया तरीका क्या इख़्तियार करें, और हम इस इंतजार में हैं कि देश की खातिर कैसे मरें" (भगत सिंह एक कुर्सी पर बैठा कुछ लिख रहा है।)
( बाहर से किसी के आने की आवाज आ रही है, भगत सिंह एकदम से चौकन्ना हो जाता है)
आजा आजा सुखदेव, दरवाजा खुला है! डरा ही दिया था तूने तो। नहीं तो! क्यों ऐसा क्या लिखा है आज के अखबार में? (अख़बार पढ़ता है)
"इंकलाब जिंदाबाद का मतलब बम और पिस्तौल की क्रांति" यह लोग अपनी मर्जी से कुछ भी छाप रहे हैं? मैं कह कह कर थक चुका हूं सुखदेव के मुझे इस बंदूक से मत जोड़िए जनाब! हम क्रांतिकारी हैं और क्रांति एक सोच को आगे बढ़ाते है। यह बंदूक, यह बंदूक तो सिर्फ दहशत लाती है। अगर यह बंदूक हमसे जुड़ गई ना सुख, तो हम में और एक आतंकवादी में कोई फर्क नहीं रह जाएगा और ऐसा होने से पहले तो यकीन मान के मैं हमेशा के लिए भुला दिया जाना पसंद करूंगा। क्यों कर रहे हैं हम यह सब? क्या हमें मरने का शौक है? क्या हमें अपने परिवार की चिंता नहीं? चिंता है! लेकिन देश के लिए मोहब्बत और आजादी के लिए तलब उससे कहीं ज्यादा है। बस एक ही ख्वाहिश है मेरी, आजाद हिंदुस्तान में सांस लेने की ख्वाहिश लेकिन उसके लिए पहले इस गुलाम मुल्क की दहशत भरी हवा को इंकलाब की आंधी से साफ भी तो करना है, नौजवानों के डरे सहमे ठंडे पड़े सीनों में आग भी तो लगानी है, ताकि 30 करोड़ हिंदुस्तानी आजादी का सूरज देख सकें इसलिए किसी को तो गुलामी की रात में मरना होगा। अब इस सब के लिए मुझे बंदूक उठानी पड़ी लेकिन मैं चाहता हूं कि आजादी के बाद नौजवान किताब उठाएं बंदूक नहीं और इस ख्वाब को मुकम्मल करने के लिए मैं एक बार नहीं सौ बार कहूंगा कि इंकलाब जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद।

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